Saturday, February 27, 2016
Friday, February 26, 2016
The Missing Goat
🎯 The Missing Goat 🎯
It all started one lazy Sunday afternoon in a small town near Toronto in Canada.
Two school-going friends had a crazy idea.
They rounded up three goats from the neighborhood and painted the number 1, 2 and 4 on their sides.
That night they let the goats loose inside their school building.
The next morning, when the authorities entered the school, they could smell something was wrong.
They soon saw goat droppings on the stairs and near the entrance and realized that some goats had entered the building.
A search was immediately launched and very soon, the three goats were found.
But the authorities were worried, where was goat No. 3?
They spent the rest of the day looking for goat No.3.
Gradually there was panic and frustration.
The school declared classes off for the students for the rest of the day.
The teachers, helpers, guards, canteen staffs, boys were all busy looking for the goat No. 3, which, of course, was never found.
Simply because it did not exist.
🐐🐐🐐 😥😰😓👀👎😳
Those among us who inspite of having a good life are always feeling a "lack of fulfilment" are actually looking for the elusive, missing, non-existent goat No.3.
Whatever the area of complaint or search or dissatisfaction may be - relationship, job-satisfaction, materialistic achievement......
An absence of something is always larger than the presence of many other things.
Stop worrying about goat No.3 and have worry-free days..😊😊
It all started one lazy Sunday afternoon in a small town near Toronto in Canada.
Two school-going friends had a crazy idea.
They rounded up three goats from the neighborhood and painted the number 1, 2 and 4 on their sides.
That night they let the goats loose inside their school building.
The next morning, when the authorities entered the school, they could smell something was wrong.
They soon saw goat droppings on the stairs and near the entrance and realized that some goats had entered the building.
A search was immediately launched and very soon, the three goats were found.
But the authorities were worried, where was goat No. 3?
They spent the rest of the day looking for goat No.3.
Gradually there was panic and frustration.
The school declared classes off for the students for the rest of the day.
The teachers, helpers, guards, canteen staffs, boys were all busy looking for the goat No. 3, which, of course, was never found.
Simply because it did not exist.
🐐🐐🐐 😥😰😓👀👎😳
Those among us who inspite of having a good life are always feeling a "lack of fulfilment" are actually looking for the elusive, missing, non-existent goat No.3.
Whatever the area of complaint or search or dissatisfaction may be - relationship, job-satisfaction, materialistic achievement......
An absence of something is always larger than the presence of many other things.
Stop worrying about goat No.3 and have worry-free days..😊😊
Thursday, February 25, 2016
दोस्त और भाई
किसी ने ईश्वर से पूछा!
दोस्त और भाई में क्या फर्क है ?
ईश्वर ने फरमाया👌
"भाई सोना है और दोस्त हीरा है"
👉उस आदमी ने कहा
"आप ने भाई को कम कीमत और दोस्त को कीमती
चीज़ से क्यू नवाज़ा "?
तो ईश्वर ने फरमाया
"सोने🌕में दरार आ जाये तो उस को पिघला कर बिलकुल पहले जैसा बनाया जा सकता है.
जब की हीरे 💎में एक दरार आ जाये तो वो कभी भी
पहले जैसा नही बन सकता।''
दोस्त और भाई में क्या फर्क है ?
ईश्वर ने फरमाया👌
"भाई सोना है और दोस्त हीरा है"
👉उस आदमी ने कहा
"आप ने भाई को कम कीमत और दोस्त को कीमती
चीज़ से क्यू नवाज़ा "?
तो ईश्वर ने फरमाया
"सोने🌕में दरार आ जाये तो उस को पिघला कर बिलकुल पहले जैसा बनाया जा सकता है.
जब की हीरे 💎में एक दरार आ जाये तो वो कभी भी
पहले जैसा नही बन सकता।''
उत्तम समय
"समस्या" के बारे में सोचने से, बहाने मिलते हैं....
"समाधान" के बारे में सोचने पर, रास्ते मिलते है....
ज़िन्दगी को "आसान" नहीं,
बस खुद को "मजबूत" बनाना पड़ता है.....
उत्तम समय कभी नहीं आता,
समय को उत्तम बनाना पड़ता है......
"समाधान" के बारे में सोचने पर, रास्ते मिलते है....
ज़िन्दगी को "आसान" नहीं,
बस खुद को "मजबूत" बनाना पड़ता है.....
उत्तम समय कभी नहीं आता,
समय को उत्तम बनाना पड़ता है......
Tuesday, February 23, 2016
सबसे कीमती तोहफ़ा
मोहन काका डाक विभाग के कर्मचारी थे। बरसों से वे माधोपुर और आस पास के गाँव में चिट्ठियां बांटने का काम करते थे।
एक दिन उन्हें एक चिट्ठी मिली, पता माधोपुर के करीब का ही था लेकिन आज से पहले उन्होंने उस पते पर कोई चिट्ठी नहीं पहुंचाई थी।
रोज की तरह आज भी उन्होंने अपना थैला उठाया और चिट्ठियां बांटने निकल पड़े। सारी चिट्ठियां बांटने के बाद वे उस नए पते की ओर बढ़ने लगे।
दरवाजे पर पहुँच कर उन्होंने आवाज़ दी, "पोस्टमैन!"
अन्दर से किसी लड़की की आवाज़ आई, "काका, वहीं दरवाजे के नीचे से चिट्ठी डाल दीजिये।"
"अजीब लड़की है मैं इतनी दूर से चिट्ठी लेकर आ सकता हूँ और ये महारानी दरवाजे तक भी नहीं निकल सकतीं !", काका ने मन ही मन सोचा।
"बहार आइये! रजिस्ट्री आई है, हस्ताक्षर करने पर ही मिलेगी!", काका खीजते हुए बोले।
"अभी आई।", अन्दर से आवाज़ आई।
काका इंतज़ार करने लगे, पर जब 2 मिनट बाद भी कोई नहीं आयी तो उनके सब्र का बाँध टूटने लगा।
"यही काम नहीं है मेरे पास, जल्दी करिए और भी चिट्ठियां पहुंचानी है", और ऐसा कहकर काका दरवाज़ा पीटने लगे।
कुछ देर बाद दरवाज़ा खुला।
सामने का दृश्य देख कर काका चौंक गए।
एक 12-13 साल की लड़की थी जिसके दोनों पैर कटे हुए थे। उन्हें अपनी अधीरता पर शर्मिंदगी हो रही थी।
लड़की बोली, "क्षमा कीजियेगा मैंने आने में देर लगा दी, बताइए हस्ताक्षर कहाँ करने हैं?"
काका ने हस्ताक्षर कराये और वहां से चले गए।
इस घटना के आठ-दस दिन बाद काका को फिर उसी पते की चिट्ठी मिली। इस बार भी सब जगह चिट्ठियां पहुँचाने के बाद वे उस घर के सामने पहुंचे!
"चिट्ठी आई है, हस्ताक्षर की भी ज़रूरत नहीं है…नीचे से डाल दूँ।", काका बोले।
"नहीं-नहीं, रुकिए मैं अभी आई।", लड़की भीतर से चिल्लाई।
कुछ देर बाद दरवाजा खुला।
लड़की के हाथ में गिफ्ट पैकिंग किया हुआ एक डिब्बा था।
"काका लाइए मेरी चिट्ठी और लीजिये अपना तोहफ़ा।", लड़की मुस्कुराते हुए बोली।
"इसकी क्या ज़रूरत है बेटा", काका संकोचवश उपहार लेते हुए बोले।
लड़की बोली, "बस ऐसे ही काका…आप इसे ले जाइए और घर जा कर ही खोलियेगा!"
काका डिब्बा लेकर घर की और बढ़ चले, उन्हें समझ नहीं आर रहा था कि डिब्बे में क्या होगा!
घर पहुँचते ही उन्होंने डिब्बा खोला, और तोहफ़ा देखते ही उनकी आँखों से आंसू टपकने लगे।
डिब्बे में एक जोड़ी चप्पलें थीं। काका बरसों से नंगे पाँव ही चिट्ठियां बांटा करते थे लेकिन आज तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था।
ये उनके जीवन का सबसे कीमती तोहफ़ा था…काका चप्पलें कलेजे से लगा कर रोने लगे; उनके मन में बार-बार एक ही विचार आ रहा था- बच्ची ने उन्हें चप्पलें तो दे दीं पर वे उसे पैर कहाँ से लाकर देंगे?
दोस्तों, संवेदनशीलता या sensitivity एक बहुत बड़ा मानवीय गुण है। दूसरों के दुखों को महसूस करना और उसे कम करने का प्रयास करना एक महान काम है। जिस बच्ची के खुद के पैर न हों उसकी दूसरों के पैरों के प्रति संवेदनशीलता हमें एक बहुत बड़ा सन्देश देती है। आइये हम भी अपने समाज, अपने आस-पड़ोस, अपने यार-मित्रों-अजनबियों सभी के प्रति संवेदनशील बनें…आइये हम भी किसी के नंगे पाँव की चप्पलें बनें और दुःख से भरी इस दुनिया में कुछ खुशियाँ फैलाएं...!!
एक दिन उन्हें एक चिट्ठी मिली, पता माधोपुर के करीब का ही था लेकिन आज से पहले उन्होंने उस पते पर कोई चिट्ठी नहीं पहुंचाई थी।
रोज की तरह आज भी उन्होंने अपना थैला उठाया और चिट्ठियां बांटने निकल पड़े। सारी चिट्ठियां बांटने के बाद वे उस नए पते की ओर बढ़ने लगे।
दरवाजे पर पहुँच कर उन्होंने आवाज़ दी, "पोस्टमैन!"
अन्दर से किसी लड़की की आवाज़ आई, "काका, वहीं दरवाजे के नीचे से चिट्ठी डाल दीजिये।"
"अजीब लड़की है मैं इतनी दूर से चिट्ठी लेकर आ सकता हूँ और ये महारानी दरवाजे तक भी नहीं निकल सकतीं !", काका ने मन ही मन सोचा।
"बहार आइये! रजिस्ट्री आई है, हस्ताक्षर करने पर ही मिलेगी!", काका खीजते हुए बोले।
"अभी आई।", अन्दर से आवाज़ आई।
काका इंतज़ार करने लगे, पर जब 2 मिनट बाद भी कोई नहीं आयी तो उनके सब्र का बाँध टूटने लगा।
"यही काम नहीं है मेरे पास, जल्दी करिए और भी चिट्ठियां पहुंचानी है", और ऐसा कहकर काका दरवाज़ा पीटने लगे।
कुछ देर बाद दरवाज़ा खुला।
सामने का दृश्य देख कर काका चौंक गए।
एक 12-13 साल की लड़की थी जिसके दोनों पैर कटे हुए थे। उन्हें अपनी अधीरता पर शर्मिंदगी हो रही थी।
लड़की बोली, "क्षमा कीजियेगा मैंने आने में देर लगा दी, बताइए हस्ताक्षर कहाँ करने हैं?"
काका ने हस्ताक्षर कराये और वहां से चले गए।
इस घटना के आठ-दस दिन बाद काका को फिर उसी पते की चिट्ठी मिली। इस बार भी सब जगह चिट्ठियां पहुँचाने के बाद वे उस घर के सामने पहुंचे!
"चिट्ठी आई है, हस्ताक्षर की भी ज़रूरत नहीं है…नीचे से डाल दूँ।", काका बोले।
"नहीं-नहीं, रुकिए मैं अभी आई।", लड़की भीतर से चिल्लाई।
कुछ देर बाद दरवाजा खुला।
लड़की के हाथ में गिफ्ट पैकिंग किया हुआ एक डिब्बा था।
"काका लाइए मेरी चिट्ठी और लीजिये अपना तोहफ़ा।", लड़की मुस्कुराते हुए बोली।
"इसकी क्या ज़रूरत है बेटा", काका संकोचवश उपहार लेते हुए बोले।
लड़की बोली, "बस ऐसे ही काका…आप इसे ले जाइए और घर जा कर ही खोलियेगा!"
काका डिब्बा लेकर घर की और बढ़ चले, उन्हें समझ नहीं आर रहा था कि डिब्बे में क्या होगा!
घर पहुँचते ही उन्होंने डिब्बा खोला, और तोहफ़ा देखते ही उनकी आँखों से आंसू टपकने लगे।
डिब्बे में एक जोड़ी चप्पलें थीं। काका बरसों से नंगे पाँव ही चिट्ठियां बांटा करते थे लेकिन आज तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था।
ये उनके जीवन का सबसे कीमती तोहफ़ा था…काका चप्पलें कलेजे से लगा कर रोने लगे; उनके मन में बार-बार एक ही विचार आ रहा था- बच्ची ने उन्हें चप्पलें तो दे दीं पर वे उसे पैर कहाँ से लाकर देंगे?
दोस्तों, संवेदनशीलता या sensitivity एक बहुत बड़ा मानवीय गुण है। दूसरों के दुखों को महसूस करना और उसे कम करने का प्रयास करना एक महान काम है। जिस बच्ची के खुद के पैर न हों उसकी दूसरों के पैरों के प्रति संवेदनशीलता हमें एक बहुत बड़ा सन्देश देती है। आइये हम भी अपने समाज, अपने आस-पड़ोस, अपने यार-मित्रों-अजनबियों सभी के प्रति संवेदनशील बनें…आइये हम भी किसी के नंगे पाँव की चप्पलें बनें और दुःख से भरी इस दुनिया में कुछ खुशियाँ फैलाएं...!!
Monday, February 22, 2016
Sunday, February 21, 2016
to be happy must help others find happiness
There was a farmer who grew excellent quality corn. Every year he won the award for the best grown corn. One year a newspaper reporter interviewed him and learned something interesting about how he grew it. The reporter discovered that the farmer shared his seed corn with his neighbors. "How can you afford to share your best seed corn with your neighbors when they are entering corn in competition with yours each year?" the reporter asked.
"Why sir," said the farmer, "Didn't you know? The wind picks up pollen from the ripening corn and swirls it from field to field. If my neighbors grow inferior corn, cross-pollination will steadily degrade the quality of my corn. If I am to grow good corn, I must help my neighbors grow good corn."
So is with our lives... Those who want to live meaningfully and well must help enrich the lives of others, for the value of a life is measured by the lives it touches. And those who choose to be happy must help others find happiness, for the welfare of each is bound up with the welfare of all...
-Call it power of collectivity...
-Call it a principle of success...
-Call it a law of life.
The fact is, none of us truly wins, until we all win!!
"Why sir," said the farmer, "Didn't you know? The wind picks up pollen from the ripening corn and swirls it from field to field. If my neighbors grow inferior corn, cross-pollination will steadily degrade the quality of my corn. If I am to grow good corn, I must help my neighbors grow good corn."
So is with our lives... Those who want to live meaningfully and well must help enrich the lives of others, for the value of a life is measured by the lives it touches. And those who choose to be happy must help others find happiness, for the welfare of each is bound up with the welfare of all...
-Call it power of collectivity...
-Call it a principle of success...
-Call it a law of life.
The fact is, none of us truly wins, until we all win!!
Saturday, February 20, 2016
सुखमनि साहिब
सुखमनि साहिब में लिखा है :
।। सगल सृसटि को राजा दुखीआ हरि का नाम
जपत होई सुखीया ।।
यहाँ तक कि सम्पूर्ण विश्व का राजा भी दुखी है । सुखी केवल वही है जो मालिक के नाम के सिमरन में मग्न हो , इससे हमें यह पता चलता है कि आनन्द का स्रोत सिर्फ ' नाम ' ही है । श्री गुरु अर्जुन देव जी कहते थे कि जो लोग सांसारिक पदार्थों में सुख खोजते हैं , वे सबसे अधिक दुखी हैं । पद प्रतिष्ठा की भूख कभीकम नहीं होती । सुख और संतोश उन्ही के भाग्य में है जो प्रारब्ध से संतुष्ट है और गुरु द्वारा दिए गए पवित्र नाम के अभ्यास में मग्न है ।
नाम की सच्ची दात मुबारक
🍊🍊🍊🍊🍊🍊🍊🍊🍊 बुल्ले शाह कहते हैं...
उस दे नाल यारी कदी ना रखियो,
जिस नू अपने ते गुरूर होवे...
माँ बाप नू बुरा ना अखियो,
चाहे लाख उन्हां दा क़ुसूर होवे...
राह चलदे नू दिल न दैयो,
चाहे लख चेहरे ते नूर होवे
ओ बुल्लेया दोस्ती सिर्फ उथे करियो,
जिथे दोस्ती निभावन दा दस्तूर होवे..!!
👌👌👍👍👍👏👏👏👏
बाबा फरीद जी......
वेख फरीदा मिट्टी खुल्ली,
मिट्टी उत्ते मिट्टी दुल्ली...
मिट्टी हँससे मिट्टी रोवे,
अंत मिट्टी दा मिट्टी होवे...
ना कर बन्दया मेरी मेरी,
ना एह तेरी ना एह मेरी...
चार दिनां दा मेला दुनिया,
फेर मिट्टी दी बण जाना ढेरी...!!
।। सगल सृसटि को राजा दुखीआ हरि का नाम
जपत होई सुखीया ।।
यहाँ तक कि सम्पूर्ण विश्व का राजा भी दुखी है । सुखी केवल वही है जो मालिक के नाम के सिमरन में मग्न हो , इससे हमें यह पता चलता है कि आनन्द का स्रोत सिर्फ ' नाम ' ही है । श्री गुरु अर्जुन देव जी कहते थे कि जो लोग सांसारिक पदार्थों में सुख खोजते हैं , वे सबसे अधिक दुखी हैं । पद प्रतिष्ठा की भूख कभीकम नहीं होती । सुख और संतोश उन्ही के भाग्य में है जो प्रारब्ध से संतुष्ट है और गुरु द्वारा दिए गए पवित्र नाम के अभ्यास में मग्न है ।
नाम की सच्ची दात मुबारक
🍊🍊🍊🍊🍊🍊🍊🍊🍊 बुल्ले शाह कहते हैं...
उस दे नाल यारी कदी ना रखियो,
जिस नू अपने ते गुरूर होवे...
माँ बाप नू बुरा ना अखियो,
चाहे लाख उन्हां दा क़ुसूर होवे...
राह चलदे नू दिल न दैयो,
चाहे लख चेहरे ते नूर होवे
ओ बुल्लेया दोस्ती सिर्फ उथे करियो,
जिथे दोस्ती निभावन दा दस्तूर होवे..!!
👌👌👍👍👍👏👏👏👏
बाबा फरीद जी......
वेख फरीदा मिट्टी खुल्ली,
मिट्टी उत्ते मिट्टी दुल्ली...
मिट्टी हँससे मिट्टी रोवे,
अंत मिट्टी दा मिट्टी होवे...
ना कर बन्दया मेरी मेरी,
ना एह तेरी ना एह मेरी...
चार दिनां दा मेला दुनिया,
फेर मिट्टी दी बण जाना ढेरी...!!
Tuesday, February 16, 2016
Who is poor?
A wealthy woman goes to a saree store and tells the boy at the counter "Bhaiya show some cheap sarees. It is my son's marriage and I have to give to my maid."
After sometime, the maid comes to the saree shop and tells the boy at the counter "Bhaiya show some expensive sarees. I want to gift my Mistress on her son's marriage"
Poverty is in the mind or in the purse?
Who is Rich..?
Once, a lady with her family was staying in a 3-star hotel for a picnic. She was the mother of a 6 month old baby.
"Can I get 1 cup of milk?" asked the lady to the 3-star hotel manager.
"Yes madam", he replied.
"But it will cost 100 bucks". "No problem", said the lady.
While driving back from hotel, the child was hungry again.
They stopped at a road side tea stall and took milk from the tea vendor
"How much?" she asked the tea vendor.
"Madam, we don't charge money for kid's milk", the old man said with a smile.
"Let me know if you need more for the journey". The lady took one more cup and left..
She wondered, "Who's richer...? The hotel manager or the old tea vendor...?
Sometimes, in the race for more money, we forget that we are all humans. Let's help someone in need, without expecting something in return. It will make us feel better than what money can.
Coffee never knew that it would taste so nice and sweet, before it met milk and sugar...
We are good as individuals but become better when we meet and blend with the right people....
Stay connected..
"The world is full of nice people... If you can't find one... Be one...
After sometime, the maid comes to the saree shop and tells the boy at the counter "Bhaiya show some expensive sarees. I want to gift my Mistress on her son's marriage"
Poverty is in the mind or in the purse?
Who is Rich..?
Once, a lady with her family was staying in a 3-star hotel for a picnic. She was the mother of a 6 month old baby.
"Can I get 1 cup of milk?" asked the lady to the 3-star hotel manager.
"Yes madam", he replied.
"But it will cost 100 bucks". "No problem", said the lady.
While driving back from hotel, the child was hungry again.
They stopped at a road side tea stall and took milk from the tea vendor
"How much?" she asked the tea vendor.
"Madam, we don't charge money for kid's milk", the old man said with a smile.
"Let me know if you need more for the journey". The lady took one more cup and left..
She wondered, "Who's richer...? The hotel manager or the old tea vendor...?
Sometimes, in the race for more money, we forget that we are all humans. Let's help someone in need, without expecting something in return. It will make us feel better than what money can.
Coffee never knew that it would taste so nice and sweet, before it met milk and sugar...
We are good as individuals but become better when we meet and blend with the right people....
Stay connected..
"The world is full of nice people... If you can't find one... Be one...
Friday, February 12, 2016
Tuesday, February 9, 2016
झाड़ू
: झाड़ू ::::
जब तक एक सूत्र में बँधी होती है,तब तक _
वह "कचरा" साफ करती है।
लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है तो खुद कचरा हो जाती है।
इस लिये हमेशा परिवार से बंधे रहे।बिखर कर कचरा न बने
उपवास अन्न का ही नहीं, बुरे विचारों का भी करो, सरल बनो, स्मार्ट नहीं, क्योंकि हमें ईश्वर ने बनाया है, सैमसंग ने नहीं।।।
जब तक एक सूत्र में बँधी होती है,तब तक _
वह "कचरा" साफ करती है।
लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है तो खुद कचरा हो जाती है।
इस लिये हमेशा परिवार से बंधे रहे।बिखर कर कचरा न बने
उपवास अन्न का ही नहीं, बुरे विचारों का भी करो, सरल बनो, स्मार्ट नहीं, क्योंकि हमें ईश्वर ने बनाया है, सैमसंग ने नहीं।।।
Monday, February 8, 2016
Sunday, February 7, 2016
Saturday, February 6, 2016
Rahmat
तेरी रेहमत पर भरोसा है मुझे,
मेरे बिगड़े काज सवँर जाएँगे,
जब जब पडूँगी किसी मुश्किल में मैं,
सतगुरु बाहँ पकड़ पार लगाएँगे,
लाखों को तारा है प्रभु आपने,
जाने कितनों की किस्मत सवांरी है,
एक बार सपने में ही आके कह दो प्रभु,
रे गुरुमुख अब तेरी ही बारी है!!!🙏🙏🙏
मेरे बिगड़े काज सवँर जाएँगे,
जब जब पडूँगी किसी मुश्किल में मैं,
सतगुरु बाहँ पकड़ पार लगाएँगे,
लाखों को तारा है प्रभु आपने,
जाने कितनों की किस्मत सवांरी है,
एक बार सपने में ही आके कह दो प्रभु,
रे गुरुमुख अब तेरी ही बारी है!!!🙏🙏🙏
Roop Singh
🙏शुकराना🙏
☀कहानी रूप सिंह बाबा की है।
रूप सिंह बाबा ने अपने गुरु अंगद देव जी की बहुत सेवा की ।
20 साल सेवा करते हुए बीत गए। गुरु रूप सिंह जी पर प्रसन्न हुए और कहा मांगो जो माँगना है। रूप सिंह
जी बोले गुरुदेव मुझे तो मांगने ही नहीं आता। गुरु के बहुत कहने पर रूप सिंह जी बोले मुझे एक दिन का वक़्त दो घरवाले से पूछ ्के कल बताता हु। घर जाकर माँ से पुछा तो माँ बोली जमीन माँग ले। मन नहीं माना।बीवी से पुछा तो बोली इतनी गरीबी है पैसे मांग लो। फिर भी मन नहीं माना।
✊छोटी बिटिया थी उनको उसने बोला पिताजी गुरु
ने जब कहा है कि मांगो तो कोई छोटी मोटी चीज़ न
मांग लेना। इतनी छोटी बेटी की बात सुन्न के रूप सिंह
जी बोले कल तू ही साथ चल गुरु से तू ही मांग लेना ।✊
🙏अगले दिन दोनो गुरु के पास गए। रूप सिंह जी बोले गुरुदेव मेरी बेटी आपसे मांगेगी मेरी जगह।
वो नन्ही बेटी बहुत समझदार थी। रूप सिंह जी इतने गरीब थे के घर के सारे लोग दिन में एक वक़्त
का खाना ही खाते।इतनी तकलीफ होने के बावजूद भी उस नन्ही बेटी ने गुरु से कहा गुरुदेव मुझे कुछ
नहीं चाहिए।आप के हम लोगो पे बहुत एहसान है।
आपकी बड़ी रहमत है। बस मुझे एक ही बात चाहिए
कि आज हम दिन में एक बार ही खाना खाते है ।
कभी आगे एसा वक़्त आये के हमे चार पांच दिन में भी अगर
एक बार खाए तब भी हमारे मुख से
❗शुक्राना ही निकले।❗
कभी शिकायत ना करे।
🐾शुकर करने की दात दो।🐾
👍इस बात से गुरु इतने प्रसन्न हुए के बोले जा बेटा अब तेरे घर
के भंडार सदा भरे रहेंगे। तू क्या तेरे घर पे जो आएगा वोह
भी खाली हाथ नहीं जाएगा।👍
👉तो यह है शुकर करने का फल।👈
❗ सदा शुकर करते रहे❗
❗ सुख में सिमरन ❗
❗ दुःख में अरदास❗
❗ हर वेले शुकराना❗
❗ सुख मे शुकराना❗
❗दुःख मेभी शुकराना❗
🌹 हर वेले हर समय हर वक्त सिर्फ 🌹 🙏शुकराना 🙏शुकराना🙏 शुकराना🙏
☀कहानी रूप सिंह बाबा की है।
रूप सिंह बाबा ने अपने गुरु अंगद देव जी की बहुत सेवा की ।
20 साल सेवा करते हुए बीत गए। गुरु रूप सिंह जी पर प्रसन्न हुए और कहा मांगो जो माँगना है। रूप सिंह
जी बोले गुरुदेव मुझे तो मांगने ही नहीं आता। गुरु के बहुत कहने पर रूप सिंह जी बोले मुझे एक दिन का वक़्त दो घरवाले से पूछ ्के कल बताता हु। घर जाकर माँ से पुछा तो माँ बोली जमीन माँग ले। मन नहीं माना।बीवी से पुछा तो बोली इतनी गरीबी है पैसे मांग लो। फिर भी मन नहीं माना।
✊छोटी बिटिया थी उनको उसने बोला पिताजी गुरु
ने जब कहा है कि मांगो तो कोई छोटी मोटी चीज़ न
मांग लेना। इतनी छोटी बेटी की बात सुन्न के रूप सिंह
जी बोले कल तू ही साथ चल गुरु से तू ही मांग लेना ।✊
🙏अगले दिन दोनो गुरु के पास गए। रूप सिंह जी बोले गुरुदेव मेरी बेटी आपसे मांगेगी मेरी जगह।
वो नन्ही बेटी बहुत समझदार थी। रूप सिंह जी इतने गरीब थे के घर के सारे लोग दिन में एक वक़्त
का खाना ही खाते।इतनी तकलीफ होने के बावजूद भी उस नन्ही बेटी ने गुरु से कहा गुरुदेव मुझे कुछ
नहीं चाहिए।आप के हम लोगो पे बहुत एहसान है।
आपकी बड़ी रहमत है। बस मुझे एक ही बात चाहिए
कि आज हम दिन में एक बार ही खाना खाते है ।
कभी आगे एसा वक़्त आये के हमे चार पांच दिन में भी अगर
एक बार खाए तब भी हमारे मुख से
❗शुक्राना ही निकले।❗
कभी शिकायत ना करे।
🐾शुकर करने की दात दो।🐾
👍इस बात से गुरु इतने प्रसन्न हुए के बोले जा बेटा अब तेरे घर
के भंडार सदा भरे रहेंगे। तू क्या तेरे घर पे जो आएगा वोह
भी खाली हाथ नहीं जाएगा।👍
👉तो यह है शुकर करने का फल।👈
❗ सदा शुकर करते रहे❗
❗ सुख में सिमरन ❗
❗ दुःख में अरदास❗
❗ हर वेले शुकराना❗
❗ सुख मे शुकराना❗
❗दुःख मेभी शुकराना❗
🌹 हर वेले हर समय हर वक्त सिर्फ 🌹 🙏शुकराना 🙏शुकराना🙏 शुकराना🙏
सुख
ऐ "सुख" तू कहाँ मिलता है
क्या तेरा कोई स्थायी पता है
क्यों बन बैठा है अन्जाना
आखिर क्या है तेरा ठिकाना।
कहाँ कहाँ ढूंढा तुझको
पर तू न कहीं मिला मुझको
ढूंढा ऊँचे मकानों में
बड़ी बड़ी दुकानों में
स्वादिस्ट पकवानों में
चोटी के धनवानों में
वो भी तुझको ढूंढ रहे थे
बल्कि मुझको ही पूछ रहे. थे
क्या आपको कुछ पता है
ये सुख आखिर कहाँ रहता है?
मेरे पास तो "दुःख" का पता था
जो सुबह शाम अक्सर मिलता था
परेशान होके रपट लिखवाई
पर ये कोशिश भी काम न आई
उम्र अब ढलान पे. है
हौसले थकान पे है
हाँ उसकी तस्वीर है मेरे. पास
अब भी बची हुई है आस
मैं भी हार नहीं मानूंगा
सुख के रहस्य को जानूंगा
बचपन में मिला करता था
मेरे साथ रहा करता था
पर जबसे मैं बड़ा हो. गया
मेरा सुख मुझसे जुदा हो गया।
मैं फिर भी नहीं हुआ हताश
जारी रखी उसकी तलाश
एक दिन जब आवाज ये आई
क्या मुझको ढूंढ.रहा है भाई
मैं तेरे अन्दर छुपा हुआ. हूँ
तेरे ही घर में बसा हुआ हूँ
मेरा नहीं है कुछ भी "मोल"
सिक्कों में मुझको न तोल
मैं बच्चों.की मुस्कानों में हूँ
हारमोनियम की तानों में हूँ
पत्नी के साथ चाय पीने में
"परिवार" के संग जीने में
माँ बाप के आशीर्वाद में
रसोई घर के पकवानों में
बच्चों की सफलता में हूँ
माँ की निश्छल ममता में हूँ
हर पल तेरे संग रहता हूँ
और अक्सर तुझसे कहता हूँ
मैं तो हूँ बस एक "अहसास"
बंद कर दे तू मेरी तलाश
जो मिला उसी में कर "संतोष"
आज को जी ले कल की न सोच
कल के लिए आज को न खोना
मेरे लिए कभी दुखी न होना
क्या तेरा कोई स्थायी पता है
क्यों बन बैठा है अन्जाना
आखिर क्या है तेरा ठिकाना।
कहाँ कहाँ ढूंढा तुझको
पर तू न कहीं मिला मुझको
ढूंढा ऊँचे मकानों में
बड़ी बड़ी दुकानों में
स्वादिस्ट पकवानों में
चोटी के धनवानों में
वो भी तुझको ढूंढ रहे थे
बल्कि मुझको ही पूछ रहे. थे
क्या आपको कुछ पता है
ये सुख आखिर कहाँ रहता है?
मेरे पास तो "दुःख" का पता था
जो सुबह शाम अक्सर मिलता था
परेशान होके रपट लिखवाई
पर ये कोशिश भी काम न आई
उम्र अब ढलान पे. है
हौसले थकान पे है
हाँ उसकी तस्वीर है मेरे. पास
अब भी बची हुई है आस
मैं भी हार नहीं मानूंगा
सुख के रहस्य को जानूंगा
बचपन में मिला करता था
मेरे साथ रहा करता था
पर जबसे मैं बड़ा हो. गया
मेरा सुख मुझसे जुदा हो गया।
मैं फिर भी नहीं हुआ हताश
जारी रखी उसकी तलाश
एक दिन जब आवाज ये आई
क्या मुझको ढूंढ.रहा है भाई
मैं तेरे अन्दर छुपा हुआ. हूँ
तेरे ही घर में बसा हुआ हूँ
मेरा नहीं है कुछ भी "मोल"
सिक्कों में मुझको न तोल
मैं बच्चों.की मुस्कानों में हूँ
हारमोनियम की तानों में हूँ
पत्नी के साथ चाय पीने में
"परिवार" के संग जीने में
माँ बाप के आशीर्वाद में
रसोई घर के पकवानों में
बच्चों की सफलता में हूँ
माँ की निश्छल ममता में हूँ
हर पल तेरे संग रहता हूँ
और अक्सर तुझसे कहता हूँ
मैं तो हूँ बस एक "अहसास"
बंद कर दे तू मेरी तलाश
जो मिला उसी में कर "संतोष"
आज को जी ले कल की न सोच
कल के लिए आज को न खोना
मेरे लिए कभी दुखी न होना
Chat becomes Satsang..
When Bhakti enters Food,
Food becomes Prasad…
When Bhakti enters Hunger,
Hunger becomes a Fast…
When Bhakti enters Water,
Water becomes Charanamrit…
When Bhakti enters Travel,
Travel becomes a Pilgrimage…
When Bhakti enters Music ,
Music becomes Kirtan…
When Bhakti enters a House,
House becomes a Temple…
When Bhakti enters Actions,
Actions become Services…
When Bhakti enters in Work,
Work becomes Karma…
When Bhakti enters a Man,
Man becomes Human…
When Bhakti enters WhatsApp
Chat becomes Satsang..🙏🙏🙏
Food becomes Prasad…
When Bhakti enters Hunger,
Hunger becomes a Fast…
When Bhakti enters Water,
Water becomes Charanamrit…
When Bhakti enters Travel,
Travel becomes a Pilgrimage…
When Bhakti enters Music ,
Music becomes Kirtan…
When Bhakti enters a House,
House becomes a Temple…
When Bhakti enters Actions,
Actions become Services…
When Bhakti enters in Work,
Work becomes Karma…
When Bhakti enters a Man,
Man becomes Human…
When Bhakti enters WhatsApp
Chat becomes Satsang..🙏🙏🙏
अगर आप का कुछ तोड़ने का मन करे तो
हे परमात्मा,
अगर आप का कुछ तोड़ने का मन करे तो,
मेरा ग़रूर तोड़ देना..
अगर आप का कुछ जलाने का मन करे,
तो मेरा क्रोध जला देना..
अगर आप का कुछ बुझाने का मन करे,
तो मेरी घृणा बुझा देना..
अगर आप का मारने का मन करे,
तो मेरी इच्छाओं को मार देना..
अगर आप का प्यार करने का मन करे,
तो मेरी ओर देख लेना..
"मैं शब्द, तुम अर्थ, तुम बिन मैं व्यर्थ"
੧ਓ॥ 🙏जय गुरूजी🙏 ॥ॐ॥
अगर आप का कुछ तोड़ने का मन करे तो,
मेरा ग़रूर तोड़ देना..
अगर आप का कुछ जलाने का मन करे,
तो मेरा क्रोध जला देना..
अगर आप का कुछ बुझाने का मन करे,
तो मेरी घृणा बुझा देना..
अगर आप का मारने का मन करे,
तो मेरी इच्छाओं को मार देना..
अगर आप का प्यार करने का मन करे,
तो मेरी ओर देख लेना..
"मैं शब्द, तुम अर्थ, तुम बिन मैं व्यर्थ"
੧ਓ॥ 🙏जय गुरूजी🙏 ॥ॐ॥
Guru Nanak
करतार पुर में गुरु नानक साहेब जी के दर्शन करने के लिए एक दिन बहुत संगत आ गयी।
वहाँ लंगर परसाद चल रहा था। आई हुई बहुत सी संगत की वजह से वहाँ लंगर परसाद कम पड़ने लगा। ये बात जब सेवक जी ने आ कर गुरु नानक महाराज जी को बताया तो सतगुरु बाबा गुरु नानक जी ने उस सेवक को हुक्म किया की, कोई सिख सामने कीकर के वृक्ष पर चढ़ कर उसे हिलाओ उससे मिठाइयां बरसेंगी वो मिठाइयां आई संगत में बाँट दो।।
ये सुनकर गुरु पुत्र बाबा श्री चन्द जी और बाबा लक्षमी दास जी बोले बाबा जी कीकर का तो अपना भी कोई फल नही होता बस कांटे ही काँटे होते है उससे कहाँ मिठाइयां बरसेंगी।।
कुछ कच्ची श्रद्धा वाले भगत बोले.....
सारा संसार घूम घूम कर बज़ुर्गी में गुरु नानक साहेब जी सठिया गए है, भला कीकर से कब मिठाइयां बरसी है?
ये सब बातें सुन रहे भाई लहणे को हुक्म हुआ,
भाई लहणे तू चढ़.........
बिना इक पल की देर लगाए भाई लहणा कीकर पर चढ़ गए।
और भाई लहणा जोर जोर से कीकर को हिलाने लगे,
दुनिया ने ये सब देखा......
कीकर से मिठाइयां बरसी और वे सारी मिठाइयां सारी संगत खाई और जब सारी संगत त्रिपत हो गयी तो हुक्म हुआ। लहणे अब तू नीचे आजा......
तो भाई लहणा बाबा जी के आदेश से नीचे आ गए।
गुरु नानक साहेब जी ने पूछा भाई लहणे को....
जब किसी भी संत को इस बात पर भरोसा ही नही था की कीकर से मिठाइयाँ आएगी, तो तूने कैसे मुझ पे भरोसा किया...
इस प्रसन्न के जवाब में भाई लहणे ने कहा सतगुरु जी, आप ने ही तो सीखाया है.....
कब, क्या, कैसे, क्यों, किन्तु, परन्तु, लेकिन ये शब्द सेवक के लिए नही बने।।
मेरे आप के ऊपर के विशवास ने मुझे कहा कि जब बाबा जी ने कहा है तो मिठाइयां जरूर बरसेंगी।।
मेरा गुरु पूरा है।
मेरा गुरु समर्थ है।
मेरा गुरु सच्चा है।
मेरी अक्ल् छोटी है पर मेरा गुरु कभी छोटा नहीं।।
बाबा गुरु नानक साहेब जी ने जब ये सुना, ये सुनते ही भाई लहणे को छाती से लगा लिया।।
यही भाई लहणा गुरु अंगद साहेब बनकर गुरु नानक साहेब की गद्दी पर विराजमान हुए।।
🌷🌹शुकराना गुरुजी 🌹🌷
💐🎊जय जय गुरुजी 🎊💐
वहाँ लंगर परसाद चल रहा था। आई हुई बहुत सी संगत की वजह से वहाँ लंगर परसाद कम पड़ने लगा। ये बात जब सेवक जी ने आ कर गुरु नानक महाराज जी को बताया तो सतगुरु बाबा गुरु नानक जी ने उस सेवक को हुक्म किया की, कोई सिख सामने कीकर के वृक्ष पर चढ़ कर उसे हिलाओ उससे मिठाइयां बरसेंगी वो मिठाइयां आई संगत में बाँट दो।।
ये सुनकर गुरु पुत्र बाबा श्री चन्द जी और बाबा लक्षमी दास जी बोले बाबा जी कीकर का तो अपना भी कोई फल नही होता बस कांटे ही काँटे होते है उससे कहाँ मिठाइयां बरसेंगी।।
कुछ कच्ची श्रद्धा वाले भगत बोले.....
सारा संसार घूम घूम कर बज़ुर्गी में गुरु नानक साहेब जी सठिया गए है, भला कीकर से कब मिठाइयां बरसी है?
ये सब बातें सुन रहे भाई लहणे को हुक्म हुआ,
भाई लहणे तू चढ़.........
बिना इक पल की देर लगाए भाई लहणा कीकर पर चढ़ गए।
और भाई लहणा जोर जोर से कीकर को हिलाने लगे,
दुनिया ने ये सब देखा......
कीकर से मिठाइयां बरसी और वे सारी मिठाइयां सारी संगत खाई और जब सारी संगत त्रिपत हो गयी तो हुक्म हुआ। लहणे अब तू नीचे आजा......
तो भाई लहणा बाबा जी के आदेश से नीचे आ गए।
गुरु नानक साहेब जी ने पूछा भाई लहणे को....
जब किसी भी संत को इस बात पर भरोसा ही नही था की कीकर से मिठाइयाँ आएगी, तो तूने कैसे मुझ पे भरोसा किया...
इस प्रसन्न के जवाब में भाई लहणे ने कहा सतगुरु जी, आप ने ही तो सीखाया है.....
कब, क्या, कैसे, क्यों, किन्तु, परन्तु, लेकिन ये शब्द सेवक के लिए नही बने।।
मेरे आप के ऊपर के विशवास ने मुझे कहा कि जब बाबा जी ने कहा है तो मिठाइयां जरूर बरसेंगी।।
मेरा गुरु पूरा है।
मेरा गुरु समर्थ है।
मेरा गुरु सच्चा है।
मेरी अक्ल् छोटी है पर मेरा गुरु कभी छोटा नहीं।।
बाबा गुरु नानक साहेब जी ने जब ये सुना, ये सुनते ही भाई लहणे को छाती से लगा लिया।।
यही भाई लहणा गुरु अंगद साहेब बनकर गुरु नानक साहेब की गद्दी पर विराजमान हुए।।
🌷🌹शुकराना गुरुजी 🌹🌷
💐🎊जय जय गुरुजी 🎊💐
Subscribe to:
Posts (Atom)