Friday, March 18, 2016

परिस्थिति' बदले तो अपनी 'मनस्थिति' बदल लो

गुरू से शिष्य ने कहा: गुरूदेव ! एक व्यक्ति ने आश्रम के लिये गाय भेंट की है।
गुरू ने कहा - अच्छा हुआ । दूध पीने को मिलेगा।
एक सप्ताह बाद शिष्य ने आकर गुरू से कहा: गुरू ! जिस व्यक्ति ने गाय दी थी, आज वह अपनी गाय वापिस ले गया ।
गुरू ने कहा - अच्छा हुआ ! गोबर उठाने की झंझट से मुक्ति मिली।
'परिस्थिति' बदले तो अपनी 'मनस्थिति' बदल लो । बस दुख सुख में बदल जायेगा.।
"सुख दुख आख़िर दोनों मन के ही तो समीकरण हैं।"

अंधे को मंदिर आया देख लोग हँसकर बोले -
"मंदिर में दर्शन के लिए आए तो हो,पर क्या भगवान को देख पाओगे?"
अंधे ने कहा -"क्या फर्क पड़ता है,मेरा भगवान तो मुझे देख लेगा."
द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए।

ख़ुश रहिए.

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