Friday, March 18, 2016

भगवान का फैंका हुआ पत्थर

!!!भगवान का फैंका हुआ पत्थर!!!

ध्यान से पढ़ें, और विचार करें।

एक दिन किसी निर्माण के दौरान भवन की छठी मंजिल से सुपरवाईजर ने नीचे कार्य करने वाले मजदूर को आवाज दी.
निर्माण कार्य की तेज आवाज के कारण नीचे काम करने वाला मजदूर कुछ समझ नहीं सका कि उसका सुपरवाईजर उसे आवाज दे रहा है.

फिर सुपरवाईजर ने उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए एक १० रु का नोट नीचे फेंका, जो ठीक मजदूर के सामने जा कर गिरा । मजदूर ने नोट उठाया और अपनी जेब मे रख लिया, और फिर अपने काम मे लग गया .
अब उसका ध्यान खींचने के लिए सुपरवाईजर ने पुन: एक ५०० रु का नोट नीचे फैंका .
उस मजदूर ने फिर वही किया और नोट जेब में रख कर अपने काम में लग गया. ये देख अब सुपरवाईजर ने एक छोटा सा पत्थर का टुकड़ा लिया और मजदूर के ऊपर फैंका जो सीधा मजदूर के सिर पर लगा. अब मजदूर ने ऊपर देखा और उसकी सुपरवाईजर से बात चालू हो गयी.

ये वैसा ही है जो हमारी जिन्दगी में होता है.....

भगवान् हमसे संपर्क करना चाहता है,मिलना चाहता है, लेकिन हम दुनियादारी के कामों में व्यस्त रहते हैं, अत: भगवान को याद नहीं करते.
भगवान हमें छोटी छोटी खुशियों के रूप मे उपहार देता रहता है, लेकिन हम उसे याद नहीं करते, और वो खुशियां और उपहार कहाँ से आये ये न देखते हुए,उनका उपयोग कर लेते है, और भगवान् को याद नहीं करते.

भगवान् हमें और भी खुशियों रूपी उपहार भेजता है, लेकिन उसे भी हम हमारा भाग्य समझ कर रख लेते है, भगवान् का धन्यवाद नहीं करते ,उसे भूल जाते है. तब भगवान् हम पर एक छोटा सा पत्थर फैंकते हैं , जिसे हम कठिनाई कहते हैं, और तुरंत उसके निराकरण के लिए भगवान् की ओर देखते
हैं,याद करते हैं.

यही जिन्दगी में हो रहा है. यदि हम हमारी छोटी से छोटी ख़ुशी भी भगवान् के साथ उसका धन्यवाद देते हुए बाँटें, तो हमें भगवान के द्वारा फैंके हुए पत्थर का इन्तजार ही नहीं करना पड़ेगा...!!!!

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